विवेक से करें मेहनत किसी व्यक्ति को सिंचाई और पेयजल के लिए कुएं की जरूरत थी। किसी जानकार आदमी ने उसको बताया कि उसे साठ हाथ की गहराई तक खुदाई करने पर जलस्त्रोत मिल जाएगा। जिसे कुएं की जरूरत थी उसने छह-छह हाथ के दस गड्ढे खोद डाले, किंतु पानी नहीं निकला। वह उस विशेषज्ञ के पास गया और बोला— "पानी के लिए आपने जैसा कहा था, वैसे ही किया, किंतु पानी नहीं निकला।"उस व्यक्ति ने कहा कि "साठ हाथ गहरी खुदाई कर ली?"
"हां, कर ली।"
उसे आश्चर्य हुआ। वह स्वयं चलकर उस स्थान पर गया, जहां खुदाई की गई थी। जाकर देखता है, तो उसे छह-छह हाथ की गहराई वाले दस कुएं दिखाई दिए। वह खुदाई करने वाले की अज्ञानता को समझ गया। उसने कहा— "ऎसे दस कुएं नहीं, दस हजार कुएं भी खोद डालो तो पानी नहीं मिलेगा। जो शक्ति तुमने दस कुएं खोदने में लगाई वह एक ही कुएं की खुदाई में लगाई होती, तो पानी अभी तक मिल चुका होता। अब तुम इस एक कुएं को चौवन हाथ खोद डालो, पानी निकल आएगा।"
उस व्यक्ति ने ऎसा ही किया। छह हाथ खोदे हुए गड्डे को चौवन हाथ और खोद दिया, तो सचमुच पानी निकल आया। अपनी ऊर्जा और शक्ति को छोटे-छोटे गड्ढे खोदने में नष्ट न करें। अपनी शक्ति और श्रम का नियोजन विवेकपूर्वक करें। श्रम और शक्ति लगे, किंतु उसके साथ विवेक हो, तो परिणाम सार्थक ही निकलता है। HTML clipboard |
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