जा रहा था। ऐसे में सुझाव आया कि क्यों न इस संशोधन में जन्म एवं मृत्यु के साथ विवाहों के भी अनिवार्य रजिस्ट्रेशन का प्रावधान कर दिया जाए और कैबिनेट से इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते कैबिनेट ने हिंदू मैरेज ऐक्ट 1955 और स्पेशल मैरेज ऐक्ट 1954 में संशोधन को मंजूरी दी थी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री कपिल सिब्बल ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि देश में होने वाले सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो जाने से वैवाहिक एवं रखरखाव संबंधी मामलों में महिलाओं को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाया जा सकेगा।
सिब्बल ने बताया कि जन्म एवं मृत्यु अधिनियम एवं आनंद विवाह अधिनियम में संशोधनों को संसद के वर्तमान बजट सत्र में पेश कर दिया जाएगा। सभी धर्मों की शादियों का रजिस्ट्रेशन करने की आवश्यकता पर उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में सीमा बनाम अश्विनी कुमार मामले में राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार को निर्देश दिया था कि देश के सभी नागरिकों के विवाह, चाहे वे किसी भी धर्म से संबंध रखते हों, का उन राज्यों में रजिस्ट्रेशन जरूरी होना चाहिए, जहां शादी हुई है।
उन्होंने कहा कि विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो जाने से जहां वैवाहिक एवं रखरखाव मामलों से जूझ रही महिलाओं को अपने विवाह का सुबूत देने में आसानी होगी, वहीं विवाद उठने पर विवाह करने वालों की उम्र, और बच्चा किसे सौंपा जाए, ये सब साबित करने में आसानी होगी।
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