| विकास का साझा 30 मार्च, 2012: ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स ने आर्थिक मंदी से उबरने की दिशा में नई पहल की है। दिल्ली सम्मेलन में इन देशों के बीच आपसी व्यापार में स्थानीय मुद्रा के इस्तेमाल पर समझौता हुआ। निवेश और कारोबार बढ़ाने के मकसद से कारोबारी वीजा नियमों को सरल बनाने पर भी जोर दिया गया। इसके साथ ही विकास बैंक स्थापित करने पर सहमति बनी। उम्मीद की जा रही है कि ताजा समझौतों से इन पांचों देशों के बीच वाणिज्यिक रिश्ते मजबूत होंगे, खाद्य, ऊर्जा और दूसरे आर्थिक पहलुओं पर पश्चिम से मिल रही चुनौतियों से पार पाने में उन्हें मदद मिलेगी। ब्रिक्स देशों में दुनिया की लगभग आधी आबादी रहती है और कुल वैश्विक उत्पादन में इनकी हिस्सेदारी करीब एक चौथाई है। इन देशों के बीच आपसी रिश्ते की सबसे प्रमुख कड़ी यह है कि ये सभी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं। यह संगठन बनने के पीछे संकल्प था कि पश्चिमी देशों से मिलने वाली आर्थिक चुनौतियों के बरक्स ये देश नया आधार विकसित करेंगे। इसलिए व्यापार के मामले में स्थानीय मुद्रा के इस्तेमाल और अपना एक विकास बैंक स्थापित करने पर सहमति से स्वाभाविक ही इन देशों के बीच व्यापार में तेजी और अर्थव्यवस्था में कुछ बेहतरी आने की उम्मीद बनती है। ईरान और सीरिया के साथ संबंधों को लेकर पश्चिमी देशों के दबाव पर जिस तरह ब्रिक्स देशों ने एकजुटता दिखाई और सूझबूझ भरा निर्णय किया है, अगर वही रुझान दूसरे मामलों में भी बना रहे तो निस्संदेह अमेरिका आदि देशों पर से निर्भरता काफी हद तक कम हो सकती है। इस संगठन को बने ग्यारह साल हो चुके हैं, मगर अभी तक इसके सदस्य देशों के बीच कई |
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