लीवर ट्रांसप्लांट अब जरूरी नहीं


लीवर ट्रांसप्लांट अब जरूरी नहीं
 

लंदन। लीवर की बीमारियों के कारण होने वाली हजारों मौतों को अब रोकने की दिशा में एक आशा की किरण जगी है। ब्रिटेन में रह रहे एक भारतीय डॉक्टर प्रोफेसर अनिल धवन ने स्टेम सेल के जरिए लीवर की गंभीर बीमारियों का इलाज खोज लिया है। जल्द ही ब्रिटेन के 18 बच्चों का इलाज इसी तकनीक से किया जाने वाला है।

लीवर ट्रांसप्लांट चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में काफी कठिन माना जाता है। फिर इसमें सफलता की गुंजाइश भी कम होती है। सबसे बड़ी चुनौती तब होती है जब लीवर दान करने वालों की संख्या जरूरतमंदों की तुलना में नगण्य होती है। अब तक मृत लोगों के कुछ उपयोगी ऑर्गन्स के जरिए लीवर के इलाज को प्रमुखता दी जाती थी। लेकिन इसमें कई तरह की परेशानियां होती थीं। हर किसी को ये ऑर्गन्स सूट करेंगे, इस बात पर संशय की स्थिति थी। धवन के नेतृत्व वाले दल को आशा है कि इंजेक्शन के जरिए स्टेम सेल देकर लीवर की गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकेगा और इससे हर साल हजारों लोगों की जान बचाई जा सकेगी। धवन इसे चमत्कारी सफलता बताते हैं।

पहले मामले में कामयाबी
धवन को पहली कामयाबी पिछले साल मिली। इयाद सैयद स्वस्थ जन्मा लेकिन बाद में पाया गया कि वह हर्पीज सिम्पलेक्स वायरस से पीडित था। प्रोफेसर धवन ने एक दाता के लीवर सेल्स को इयाद के उदर में इंजेक्शन की सहायता से पहुंचाया। अब इयाद बिल्कुल स्वस्थ है।
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