तुम्हारे भीतर मौजूद हैं सभी सवालों के जवा
आज जितनी पुस्तकें इस संसार में हैं, उतनी पहले कभी नहीं थी।
जितने विश्वविद्यालय हैं, उतने पहले कभी नहीं थे। विश्व स्तर
पर आज जितनी इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी, वेब साइट आदि हैं, पहले
कभी नहीं थे। इस सब के बावजूद आज का हर मनुष्य कुछ सवाल
पूछ रहा है।
सवाल तो मनुष्य बहुत पहले से पूछता आया है और आज भी पूछ
रहा है। गौर कीजिए, वे सवाल क्या हैं- मैं कौन हूं? मेरी जिंदगी का
मकसद क्या है? मैं इस संसार में क्यों आया हूं? इन सवालों का जवाब
किताबों में नहीं मिलेगा। ये बातें पढ़ने से समझ में नहीं आएंगी। ये
चीजें अनुभव करने की हैं। जानने की हैं; मानने की नहीं।
इन प्रश्नों का जवाब आपके हृदय में है। जिस दिन इन तमाम प्रश्नों
का जवाब आप अपने हृदय में खोजना शुरू करेंगे, सारे जवाब वहीं
मिल जाएंगे। वहां आपको ऐसा अलख पुरुष अविनाशी मिलेगा,
जो सारे उत्तरों की शाश्वत गंगा है। जो भी मनुष्य चाहे, उसमें
डुबकी लगा कर अपने सारे प्रश्नों के उत्तर पा सकता है। अपने
मन के संशय रूपी मैल को धो सकता है। फिर संशय, दुविधा और
संकोच नहीं रहता। आपके अंदर श्वास आ रहा है और जा रहा है,
यह भगवान और प्रकृति की कृपा है। यह सबूत है कि अलख पुरुष
अविनाशी आपके अंदर अब भी है। जब तक आप जीवित हैं, तब
तक आप इसका अनुभव कर सकते हैं। उसको जान लीजिए।
अपने मन की कल्पनाओं से नहीं, धारणाओं से नहीं; बल्कि अपने
अंदर जाकर जानिए। जानिए और उसका अनुभव करिए। अपने
जीवन में इन सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश कीजिए। आपको
न मिलें तो इन सवालों के जवाब हमारे पास हैं। हम मनुष्य के नाते
जवाब देते हैं। आप भी मनुष्य हैं और हम भी। यही हमारा नाता है।
उठो, सपना क्यों देख रहे हो? आंखें खोलो। यह सपना नहीं है कि तुम
जीवित हो। यह सपना नहीं है कि तुम्हारे अंदर यह श्वास आता-जाता
है। यह सपना नहीं है कि तुम्हारा एक हृदय है और वहां तुम्हारे सभी
प्रश्नों के उत्तरों की शाश्वत गंगा है। यह सपना नहीं है कि तुम इस
संसार के अंदर जीवित हो। इसको तुम स्वीकार करो। सपने में क्यों
फंसे हुए हो? सच तो यह है कि हर मनुष्य इस संसार में कुछ कमाने
के लिए आया था और सपनों में ही खो गया। सपनों को ही सत्य मानने
लगा। जो भी सपना आया उसी को उसने सच माना और हृदय के अंदर
छुपी सच्चाई को वह भूल गया। जो कुछ भी कमाई की उसने, वह कहीं
छोड़ दी और भूल गया। जब वह समय आया जिसका इंतजार था,
उसको भी स्वीकार नहीं कर पाया। क्योंकि सारी जिंदगी उसने सपनों
में ही गुजार दी।
कभी सोचा है आपने कि आज संसार इतना भयभीत क्यों है? इसका
एक कारण है। मान लो, एक कमरे में अंधेरा है। रात का समय है
और बाहर कुछ उल्टी-सीधी आवाजें सुनाई दे रही हैं। ऐसे में लोग
सोचेंगे कि जाने कौन है। कहीं कोई चोर या हत्यारा तो नहीं है?
लेकिन वही आवाज अगर दिन के समय हो तो लोग कहेंगे- कोई
बात नहीं। कुछ हो रहा होगा।जब अंधेरा होता है तो अपने आप डर
लगने लगता है। क्योंकि तब दिखाई नहीं देता कि क्या हो रहा है?
लोगों के जीवन में भी क्या ऐसा ही अंधेरा छाया हुआ है कि उनको
कुछ दिखाई नहीं देता?
हां, लोगों के जीवन में भी यह अंधेरा है। ऐसे में उन प्रश्नों का उत्तर
नहीं मिल पाएगा। संभव है कि तुम्हारे जीवन के अंदर उजाला हो
और तुमको भय में रहकर नहीं, बल्कि आनंद में रहकर अपना
जीवन बिताना है। तुम्हारे हृदय में उजाला है। ज्ञान एक ऐसी विधि
है, जिसके द्वारा तुम अपने हृदय तक पहुंच सकते हो तथा अपने
प्रश्नों के उत्तर पा सकते हो।
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तुम्हारे भीतर मौजूद हैं सभी सवालों के जवाब
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