दिशा भ्रम हम पुराने भ्रमित हैं। यूं मानिए बचपन से ही हमें भ्रम की बीमारी है। स्कूल में गणित के सवालों से और अंग्रेजी के वाक्यों से डरा करते थे। औसत और अनुपात का अन्तर हमें न तब समझ आता था न अब। इसीलिए हर परीक्षा में हम "फाईव पॉइंट समवन" अंक प्राप्त करते रोते- पीटते विश्वविद्यालय में पहुंचे। यहां भी भ्रम का शिकार रहे। चतुर युवतियां "नोट्स" हमसे तैयार करातीं और प्रेम की पींगे किसी और के संग बढ़ातीं। हम उनकी घातक मुस्कान को "प्रेम" समझ कर रात-रात भर उल्लू की तरह जागते और वे किसी और से सगाई की अंगूठी पहन लेतीं। इसी तरह हम आज भी अपने ड्राइवर को "लेफ्ट या राइट" मुड़ने की दिशा बताते हुए अक्सर भ्रम का शिकार रहते हैं।
अब तो वह भी समझ गया जब हम "लेफ्ट" कहते हैं तो वह "राइट" मुड़ जाता है और अक्सर वह सही साबित होता है। लेकिन हमने अपने दिशा भ्रम को कभी छिपाया नहीं। चतुर लोग जो अपने को "सरल" होने का दावा करते हैं वे अपने "भ्रमों" को सात पर्दो के भीतर छिपा कर रखते हैं। जैसे हमारे एक मित्र अपने को सदैव आधुनिक, प्रगतिशील विचारक कहने और जताने से नहीं चूकते। पर भीतर से घोर जातिवादी हैं।
अब तो अपनी जाति का जयघोष भी करने लगे हैं। वैसे अपने को मार्क्स और एंगेल्स का अनुयायी करार देते हैं। एक दिन वह घर आए और तीन घंटे तक हमें बताते रहे कि धर्म अफीम है जिसने हमारे जैसे लोगों को पंगु बना दिया है और इसीलिए इस देश में "क्रांति" नहीं हुई। वे अक्सर हमारे दिशा भ्रम की खिल्ली उड़ाते हैं। अब हमारे पास चूंकि इन जैसी लफ्फाजी करने की क्षमता नहीं, इसलिए अक्सर मुंह की खाते हैं। एक दिन हमने कहा— गुरू! एक समारोह कर रहे हैं। कुछ मदद सरकार से ले लेते हैं।
यह सुनते ही उन्होंने हमें सत्ता का चाटुकार तक कह डाला। हम चुप रहे। पिछले दिनों अजब बात हुई। उनके पुत्र की शादी थी। एक दिन हमारे पास आए और बोले— फलां पंडित तुम्हारे रिश्तेदार हैं चलो उनसे जन्म कुण्डली मिलवानी है। हमने कहा—आप कुंडली मिलान में कब से विश्वास करने लगे। वे बोले—ये मेरे बेटे के जीवन का प्रश्न है। खैर शादी हो गई। शादी के बाद उनके यहां जाना हुआ तो वे सपत्नीक "कथा" में बैठे हवन कर रहे थे। उनके कर्म देख मन हुआ कि मार्क्स का "दास कैपीटल" लाकर अपने सिर पर दे मारें। हम जानते थे कि उनके सिर पर मारा तो वे बगैर किसी भ्रम के पुलिस में "अटैम्प्ट टू मर्डर" की रपट दर्ज करा देंगे। क्योंकि वे "भ्रमित" नहीं हैं। दिशा भ्रम की ससुरी बीमारी तो हमें है।
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1 comment:
भाईजी हमको सूरज पश्चिम में निकलता दिखाई देता है कोई उपाय है
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