मुस्कुराहट

मुस्कुराहट
मुस्कुराहट की कला का जब से राजनीतिकरण हुआ है तब से हालत बिगड़ गई है। नेताओं ने जब से मुस्कुराकर जनता को बेवकूफ बनाना शुरू किया है, तब से लोगों को मुस्कुराहट से चिढ़ हो गई है। यहां-वहां नेताओं के मुस्कुराते बड़े-बड़े पोस्टर दिखाई देते हैं और जब उनकी हकीकत सामने आती है, तो निराशा होती है। मुस्कुराहट को यदि राजनीति से दूर रखा जाए और राजनीतिज्ञों के चेहरों से मुस्कान छीन ली जाए तो हो सकता है आम आदमी के चेहरों पर मुस्कुराहट लौटे। मगर यह देश की वर्तमान अव्यवस्थाओं को देखते हुए संभव नहीं लगता क्योंकि राजनेताओं ने मुस्कुराहट पैदा करने वाले समस्त तत्वों का पेटेन्ट करवा लिया है।

एकाध बार जनता ने सारे गम भुलाकर हंसने-मुस्कुराने की कोशिश की भी थी तो नेताओं ने आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ाकर चेहरों से मुस्कुराहट छीन ली। इधर मुस्कुराहट का अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलन काफी बढ़ गया है। दो देशों के राजनेता जब मिले तो देखिए मुस्कुराहट। इस तरह चेहरों पर मुस्कुराहट बिखरती है जैसे आपस में मिलकर काफी प्रसन्न हों। मगर कुछ देर बाद ही बयान देते हैं तो इस तरह दिखते हैं जैसे इनसे बड़ा दुश्मन कोई नहीं। यानी मुस्कान कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण अंग हो गई है। और दस-बीस राष्ट्राध्यक्ष जब भी एक साथ फोटो खिचवाएं और उनके चेहरों पर मुस्कुराहट दिखाई दे तो इसमें विश्व शांति की संभावना नहीं खोजें। मुस्कुराहट के बाद इनका लड़ना तय है। हां, यह अनुमान अवश्य लगाया जा सकता है कि जिसकी मुस्कुराहट जितनी अधिक है उसकी ताकत उतनी ही अधिक होगी। मुस्कुराहट से प्रेम नहीं ताकत का अहसास होता है।

तमाम प्रयासों के बावजूद आज मुस्कान चेहरों से गायब होती जा रही है। जानकारों की मानें तो मुस्कुराहट और चेहरों में कोई ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। मुस्कुराहट चेहरों पर आने ही वाली थी कि इधर एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया इससे यह देर हो रही है। बखेड़ा यह हुआ कि सरकार ने इंसानों में गरीब, अतिगरीब, उच्च गरीब, निम्न गरीब, निर्धन, सम्पन्न और न जाने कितनी तरह की श्रेणियां बना दी। अब मुस्कुराहट तो रही एक। श्रेणियां अनेक।

किसके चेहरे पर किस तरह की मुस्कान आना चाहिए, यह संकट की स्थिति है। मान लो निर्धन के चेहरे पर सम्पन्न वाली मुस्कुराहट आ जाए तो गड़बड़। सम्पन्न के चेहरे पर अतिगरीब की आ जाए तो झमेला। लिहाजा जानकारों ने चेहरों और मुस्कुराहट के बीच की दूरी को अभी यथावत रखने का फैसला लिया है। जब तक मुस्कुराहट का वर्गीकरण नहीं हो जाता तब तक कोई ठीक तरह मुस्कुरा नहीं सकेगा 



धैर्य रखना सीखें

लयो टॉलस्टॉय के पास एक युवक आया और बोला, "आप महान साहित्यकार हैं। उच्चस्तर के चिंतक हैं। आपकी सफलता का रहस्य क्या है?" टॉलस्टॉय ने कहा, "मैं धैर्य रखना जानता हूं। जो भी काम करता हूं सोच-समझकर और धैर्य के साथ करता हूं। सफलता न भी मिले, तो अपना धैर्य नहीं खोता। कार्य के पीछे लगे रहने का मेरा स्वभाव है। मेरी सफलता का एकमात्र मंत्र हैं— धीरज का फल मीठा।"

युवक ने कहा, "श्रीमान! आपकी बात सही हो सकती है, किंतु कभी-कभी ऎसा होता है कि चाहे जितना धीरज रखा जाए, सफलता नहीं मिलती है।"

टॉलस्टॉय ने कहा, "क्या तुम इसका कोई उदाहरण बता सकते हो?"

युवक ने कहा, "छलनी में चाहे जितना पानी डालें, वह भरती नहीं।"

"भरेगी क्यों नहीं, जरूर भरेगी। बस, इंतजार करो उसके बर्फ बन जाने का। बर्फ बनते ही छलनी में जल भर जाएगा। क्या इतना धैर्य है?"

कहने का आशय यह कि सहिष्णुता और धैर्य स्वस्थ जीवन की विशेष्ाताएं हैं, गुण हैं। जिनमें यह गुण आ गया, वह कभी अपने किसी काम में असफल नहीं होगा, लेकिन यह गुण सहज ही नहीं आ जाएगा। सहिष्णुता का प्रशिक्षण लेना पड़ेगा, प्रयोग करने पड़ेंगे। इस के बाद आप देखेंगे कि परिस्थितियां आप पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाएंगी। सबसे बहुमूल्य है अपना जीवन।








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