भारतीय बहू को अमरीका में पीटा न्यूयार्क। शादी के बाद अमरीका आई नवविवाहिता को नौकर की तरह रखने व मारने-पीटने के मामले में एक कोर्ट ने एक परिवार के तीन लोगों को दोषी पाया है। इन्हें 22 मई को सजा सुनाई जाएगी। रॉकलैंड काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी थॉमस जुगीबी ने विशाल जगोटा (34), उसकी मां परवीन जगोटा (57) और बहन रजनी जगोटा को यौन शोषण, गुलामी को विवश करने, धमकी देने व शारीरिक हिंसा का दोषी पाया। विवाहिता को 24 घंटे का नौकर बना कर रखा गया। उससे धमकाकर घर का काम करवाया गया। कोर्ट के दस्तावेज के अनुसार परवीन और रजनी को सात साल की सजा हो सकती है। जबकि विशाल को एक साल की सजा हो सकती है। पीडिता 25 साल की है। उसे पांच साल पहले विशाल के साथ शादी करके अमरीका लाया गया था। एक बार तो कपड़े सही तरह से नहीं धोने पर सास व नंद ने बहू का हाथ ही जला दिया था। जलने पर बहू को चिकित्सा सुविधा भी नहीं मुहैया कराई गई। उसे जख्म पर टूथपेस्ट लगाने के लिए कहा गया। विशाल को भी अपनी पत्नी के गाल पर काटने का दोषी पाया गया। काटने से उसके गाल पर हमेशा के लिए निशान पड़ गया। इन लोगों ने बहू का ग्रीन कार्ड, पासपोर्ट व अन्य दस्तावेज रख लिए। सॉरी, यह तो मेरा पर्सनल मामला हैआज के आधुनिक जीवन में प्राइवेसी का बड़ा बोलबाला है। अक्सर लोग कहते फिरते हैं-भाई मुझे पर्सनल स्पेस चाहिए या यह मेरा पर्सनल मैटर है आप कृपया इसमें दखल न दें। ठीक है कि व्यक्ति को स्वतंत्रता चाहिए। हर किसी को अपनी इच्छा पूरी करने का हक है लेकिन पर्सनल की कोई सीमा भी होनी चाहिए। पर्सनल के नाम पर आपको कुछ भी करने की छूट नहीं है। दिक्कत यह है कि लोग पर्सनल स्पेस का भी मनमाने तरीके से इस्तेमाल करते हैं। जब आपको अपने पर्सनल लाइफ की चिंता है तो दूसरों के भी निजीपन का सम्मान करना आपको आना चाहिए। दूसरी बात यह है कि आप पर्सनल के नाम पर नियम-कानून या बुनियादी सामाजिक मर्यादा तोड़ने की छूट नहीं पा सकते। यह तो ऐसा ही हुआ कि आप मेट्रो स्टेशन पर थूकें और कोई इसके लिए आपको टोके तो आप कह दें कि यह मेरा पर्सनल मामला है आपको क्या? अरे भाई, समाज में कई चीजें कॉमन होती हैं। कई काम या कई फर्ज सबको सामूहिक रूप से अंजाम देने होते हैं। लेकिन उन्हें भी पर्सनल मामला बताकर कोई अपनी ड्यूटी से छूट नहीं ले सकता। यह तो वही बात हुई कि लैपटॉप चोरी होने पर आप पुलिस के पास जाएं और पुलिस कह दे कि यह तो आपके और चोर के आपस का मामला है। या कोई पुरुष किसी महिला को छेड़े तो पुलिस वाले कहें कि यह तो उन दोनों के बीच का मामला है। निजी और सार्वजनिक के बीच काफी घालमेल होता जा रहा है। इस कारण समाज में कई तरह की जटिलताएं पैदा हो रही हैं। पड़ोस में मर्डर हो जाता है लेकिन बगल वाले को पता तक नहीं चलता। शायद इसलिए कि हमने मान लिया है कि दूसरों के जीवन में रुचि लेना गलत है। उसकी पर्सनल लाइफ में हम भला क्यों झांकें? शायद इसी का नतीजा है कि अब कोई अपने दुख-तकलीफ शेयर तक नहीं करता। सिर्फ सुख की बातें होती हैं, वह भी नकली। अपने मन में बातें दबाए रखने के कारण ही आज डिप्रेशन या अन्य कई मनोरोग बढ़ रहे हैं। मेरे एक मित्र ने इस प्रवृत्ति पर व्यंग्य करते हुए कहा कि किसी महिला का बलात्कार होते हुए देखकर लोग इसलिए चुप रहते हैं कि वे उनकी निजता का सम्मान करते हैं। कोई चूं तक नहीं करता। यह दो लोगों के आपस का मामला माना जाता है। मित्र ने रोचक अंदाज में कहा- अगर कोई लूटपाट, मारकाट या बम फोड़ने जैसे काम को अंजाम दे रहा हो तो भी बिना चू-चपड़ किए निकल जाओ क्योंकि यह उनका आपस का मामला है। तुम्हें बीच में बोलने का हक नहीं। वरना वे समझेंगे तुम गंवई हो, तुम में जरा भी मैनर नहीं है। क्योंकि पर्सनल मामले से अलग रहने की अवधारणा तो शहर की है, शिक्षित और संभ्रांत लोगों की है। पर यह बात मुझे जंची नहीं। मैंने कहा- यह तो गलत है। उसने मुझे समझाया- अब जमाना बदल गया है। लोगबाग अंधकार में डूबे रहना पसंद करते हैं। वे नहीं चाहते कि उनकी जिंदगी में कोई रोशनी आए। उन्हें अपने आसपास पसरे अंधेरे से प्यार है। आसपास उपस्थित शुभचिंतक उन्हें निजता में दखल देने वाले नजर आते हैं। मैं जल रहा हूं तो जलूं। मैं मर रहा हूं तो मरूं अपनी बला से लेकिन कोई मुझे देखने न आए क्योंकि यह मेरी निजता का हनन है। ऐसा ही मैं पड़ोसी से भी उम्मीद करता हूं कि चाहे उसे आसमान निगल जाए या वह धरती में समा जाए मुझे न पुकारे क्योंकि मैं निजता में दखल का सख्त विरोधी हूं। दोस्त से यह महत्वपूर्ण ज्ञान पाने के बाद जब मैंने घर में प्रवेश किया तो सामने अपने बच्चे खेलते हुए नजर आए। मैं नाराज होकर बोल उठी- हर वक्त खेलते रहते हो। थोड़ा पढ़ाई-लिखाई भी कर लिया करो। दोनों बच्चे मुझे कुछ देर तक घूरते रहे जैसे वे मन ही मन कह रहे हों- अब हम बच्चे नहीं रहे। आप हमारी निजता में दखल दे रही हैं। मैंने उनकी निजता का सम्मान करते हुए अपने कमरे की ओर कदम बढ़ा दिए। शायद पर्सनल का अभी और पर्सनल होना बाकी है। |
भारतीय बहू को अमरीका में पीटा
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