अनुदान की लूट

अनुदान की लूट
लगता है सरकारी धन की लूट का खेल राष्ट्रीय मिजाज-सा बन गया है। बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना की हो, जमीनों के आवंटन की या गरीबों को मिलने वाले राशन-केरोसिन की, बड़े-बड़े खिलाड़ी मिल-बांटकर पैसा लूटने में लगे हैं। देश के तकरीबन सभी राज्यों में यह खेल चल रहा है।

हाल ही में राजस्थान में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की एक रिपोर्ट ने "लूट का खेल" आईने की तरह साफ कर दिया है। वहां गरीबों को दिए जाने वाले केरोसिन में करोड़ों रूपए के खेल का मामला सामने आया है। राजस्थान में हर साल गरीबों के लिए आवंटित होने वाले 51 करोड़ लीटर केरोसिन में 30 करोड़ लीटर खुर्द-बुर्द हो जाता है। यानी यह तेल आता गरीबों के नाम पर है, लेकिन फर्जी राशन कार्डो में फर्जी इन्द्राज के जरिए पहुंच जाता है, पेन्ट और केमिकल फैक्ट्रियों तक।

केरोसिन घोटाले की रकम साल भर में 921 करोड़ रूपए बैठती है। पूरे देश में इस तरह के घोटालों की जानकारी विभिन्न प्रदेशों के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के ध्यान में न हो, ऎसा संभव नहीं लगता। मिल-बांटकर करोड़ों रूपए की लूट के खेल को देशभर में कहीं भी रोकने की दिशा में कभी कोई शिकायत या जांच सामने नहीं आई। सवाल सीधा-सा है कि आखिर कानून है कहां? सवाल यह भी उठता है कि केन्द्र की केरोसिन नकद सब्सिडी योजना प्रदेशों में लागू क्यों नहीं की जा रही है?

सब जानते हैं, देशभर के महानगरों से लेकर शहरों और कस्बों तक में आधे से अधिक घरों में केरोसिन की खपत ही नहीं होती। फिर भी इन घरों के नाम पर केरोसिन आवंटित दिखाया जा रहा है, तो यह मिलीभगत के अलावा और कुछ हो ही नहीं सकता। केरोसिन या राशन का ऎसा खुला खेल संभवत: सभी राज्यों में हो रहा है। वास्तव में तेल की लूट के खेल में शामिल लोगों की शिनाख्त की जाकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही देशभर में ऎसे घोटालों की आशंका वाली अन्य सरकारी योजनाओं की भी गहन समीक्षा कर घोटालों पर रोक की कवायद शुरू की जानी चाहिए, क्योंकि जिस प्रक्रिया और तंत्र के माध्यम से अब तक केरोसिन बांटा जाता रहा है, उसी तंत्र के माध्यम से राशन का गेहूं वितरित किया जाता है।

केरोसिन के साथ ही गेहूं के सम्बंध में भी जांच व्यापक पैमाने पर समूचे देश में होनी चाहिए। व्यवस्था ऎसी होनी चाहिए ताकि कहीं भी अनुदान की लूट न होने पाए। यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर नकद सब्सिडी दी जाए, तो वह भी कहीं भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए। सबसे बड़ी जरूरत है, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना, उसके बिना विकास बेमानी है।

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