ऎसा भी प्रेम...


एक फकीर बहुत दिनों तक बादशाह के साथ रहा। बादशाह का बहुत प्रेम उस फकीर पर हो गया। प्रेम भी इतना कि बादशाह रात को भी उसे अपने कमरे में सुलाता। कोई भी काम होता, दोनों साथ-साथ ही करते।

एक दिन दोनों शिकार खेलने गए और रास्ता भटक गए। भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे। पेड़ पर एक ही फल लगा था। बादशाह ने घोड़े पर चढ़कर फल को अपने हाथ से तोड़ा। बादशाह ने फल के छह टुकड़े किए और अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा फकीर को दिया।

फकीर ने टुकड़ा खाया और बोला, "बहुत स्वादिष्ट! ऎसा फल कभी नहीं खाया। एक टुकड़ा और दे दें। दूसरा टुकड़ा भी फकीर को मिल गया। फकीर ने एक टुकड़ा और बादशाह से मांग लिया। इसी तरह फकीर ने पांच टुकड़े मांग कर खा लिए। जब फकीर ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो बादशाह ने कहा, "यह सीमा से बाहर है। आखिर मैं भी तो भूखा हूं। मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं करते।"

और सम्राट ने फल का टुकड़ा मुंह में रख लिया। मुंह में रखते ही राजा ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह कड़वा था। राजा बोला, "तुम पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा गए?" उस फकीर का उत्तर था, "जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले, एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं? सब टुकड़े इसलिए लेता गया ताकि आपको पता न चले।

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पानी लाने के लिए एक और शादी कर ली!

 ठाणे।। एक आदमी को गांव में सूखे की वजह से तीसरी शादी करने के लिए मजबूर होना पड़ा! शाहपुर तालुके के देंगलमल गांव में 65 साल के रामचंद्र (बदला हुआ नाम) ने बताया कि मेरी पहली पत्नी बीमार रहती है और 13 लोगों के परिवार के लिए पानी लाने दूर नहीं जा सकती, जबकि दूसरी पत्नी काफी कमजोर है।

रामचंद्र के परिवार में 3 बेटे, उनकी पत्नियां और 3 पोते हैं। वह अपनी 3 बेटियों की शादी कर चुके हैं और वे अपनी ससुरालों में हैं।

रामचंद्र ने बताया, 'मेरी पहली शादी 20 साल की उम्र में
हुई थी। पहली पत्नी से 6 बच्चे हुए।' जब पहली पत्नी बीमार पड़ी तो रामचंद्र ने यह सोचकर दूसरी शादी की कि दूसरी पत्नी घर के काम देख लेगी। लेकिन, दूसरी पत्नी इतनी कमजोर थी कि वह घर के काम नहीं कर पाती थी। आखिरकार 10 साल पहले रामचंद्र ने तीसरी शादी की।

रामचंद्र अपनी शादी के पक्ष में तर्क देते हुए बताते हैं कि उनके गांव में 6 महीने तक पानी की बहुत किल्लत थी। उन्हें बगल के गांव से पानी लाने के लिए डेढ़ किलोमीटर दूर जाना होता था और कई बार 3 किलोमीटर दूर भत्सा नदी तक भी।

गांववालों ने पहले सोचा कि वह अपने शारीरिक सुख के लिए तीसरी शादी कर रहे हैं। गांव के हुसैन शेख बताते हैं, 'पहले हमने उनकी तीसरी शादी का विरोध किया, लेकिन बाद में हमें लगा कि वह ठीक कर रहे हैं। अब तीसरी पत्नी उनके घर के लिए पानी का इंतजाम कर लेती है।'

अपनी बहू के साथ रोज पानी ढोने में 5 घंटे खर्च करने वाली 70 साल की साकरी शेंडे कहती हैं, 'ज्यादातर रामचंद्र की तीसरी पत्नी ही पानी ढोती है। जब वह बीमार पड़ती है, तब घर के बाकी लोग पानी ढोते हैं।'

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